सोलह
बरस की बाली उमर को सलाम ......
(राग
अहीर भैरव में प्रेम की उच्चतम अभिव्यक्ति)
(पहली बार फेसबुक वाल पर 08 फरवरी 2019 को प्रकाशित किया )
हिन्दी फिल्मों में गीतों
की समृद्ध परंपरा है । जीवन के प्रत्येक आयाम के लिए फिल्मों में अर्थवान गीत हैं
। फिर भी प्रेम गीतों की संख्या सर्वाधिक है । इन गीतों ने प्रेम के सभी क्षेत्रों
को शब्द और स्वर दिये हैं । इनकी सूक्ष्म अनुभूतियाँ बहुत अपनत्व के साथ श्रोता को
अपने साथ बांध लेती हैं और उसके साथ एकाकार हो जाती हैं । सबके पास अपनी अपनी
स्मृतियाँ होती हैं जो वसंत ऋतु में अपनी समग्र चेतना के साथ अंगड़ाइयाँ ले कर
टहोकती हैं ।
फिल्म “एक दूजे के लिए” सन 1981 में रिलीज़ हुई थी । यह कमलहासन और रति अग्निहोत्री की पहली
हिन्दी फिल्म थी जिसमें उन्होने किशोरावस्था के उछाह भरे निश्छल प्रेम को ऐसी
अभिव्यक्ति दी थी कि उस समय का संभवतः प्रत्येक लड़का “वासू” बन
गया था और हर लड़की अपने आप में “सपना” को देखने लगी थी । फिल्म के दुखांत पर इस
फिल्म की आलोचना हुई थी पर उसका कोई खास असर नहीं हुआ और फिल्म सुपरहिट रही ।
इस फिल्म में आनंद बख्शी
के लिखे हुए 5 गीत थे जिन्हें
लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ने संगीतबद्ध किया था । इन गीतों को स्वर साम्राज्ञी लता
मंगेशकर, एस पी बालासुब्रमण्यम, अनुराधा पोडवाल तथा अनूप जलोटा ने स्वर दिये
थे । एस पी बालासुब्रमण्यम की यह पहली हिन्दी फिल्म थी । मुकेश और मोहम्मद रफी के
असामयिक निधन से दरिद्र हो चुकी हिन्दी सिने-संगीत की पुरुष आवाज़ की उम्मीद की
उज्ज्वल किरण के रूप में एस पी बालासुब्रमण्यम को हाथों हाथ लिया गया । उन्हें इस
फिल्म में सर्वश्रेष्ठ गायक का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला । गीतकार आनंद बख्शी को
गीत “तेरे मेरे बीच में ...” के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला । फिल्म के
सारे गीत सुपरहिट हुए ।
मैं इस फिल्म के उस गीत की
बात करूंगा जो फिल्म फेयर के लिए नामित तो हुआ था पर उसे ये पुरस्कार नहीं मिला था
। इसका कारण समझ पाने में मैं आज भी असमर्थ हूँ । बहरहाल पहले गीत “सोलह बरस की बाली उमर को सलाम.....” की चर्चा -
इस गीत की प्रारम्भिक दो
पंक्तियाँ “कोशिश कर के देख ले
............ बुझती हर चिंगारी ।“
अनूप
जलोटा की आवाज़ में हैं । फिर पूरा गीत लता मंगेशकर के दैवी स्वर में जैसे जीवंत हो
उठता है । इस गीत में प्रेम की सर्वोच्च स्थिति पर पहुँच कर वहाँ पहुंचाने वाली हर
इकाई के प्रति, उसका अवदान याद करते हुए
आभार व्यक्त किया गया है । यह प्रेम का वह उच्चतम बिन्दु है जहां सारे राग-द्वेष
समाप्त हो जाते हैं, कोई बैर भाव नहीं, कोई लिप्सा नहीं और न ही कोई कामना बची रह
जाती है, और शेष रह जाती है प्रेम
की दिव्य व अलौकिक अनुभूति, गहन उष्णता और चिरंतन
मुक्ति का निस्सीम आकाश -।
इस गीत को लक्ष्मीकान्त
प्यारेलाल ने राग अहीर भैरव में संगीतबद्ध किया था । राग अहीर भैरव दिन के पहले
प्रहर का (लगभग प्रातः 6 बजे से 9 बजे तक का) राग है । यह राग भैरव थाट का राग
है । इसके आरोह और अवरोह में सात सात स्वर होने के कारण इसकी जाति सम्पूर्ण सम्पूर्ण
है । इस राग में ऋषभ (रे) और निषाद (नी) कोमल और शेष सभी स्वर शुद्ध लगते हैं । इस
राग का वादी मध्यम (म) और संवादी षड्ज (स) है । इसमें भैरव और खमाज का समावेश होता
है । इस राग को राग भैरव और राग काफी या राग भैरव और राग अभीरी का मिश्रण भी माना
जाता है । इसका प्रारम्भिक हिस्सा राग भैरव के समान और बाद वाला हिस्सा राग काफी
के समान होता है । यह गंभीर प्रकृति का राग है । ख्याल गायकी और तराने के लिए इस
राग को सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है । इस शास्त्रीय राग में ख्याल और बड़ा ख्याल
की गायकी बहुत लोकप्रिय है । भक्ति रचनाओं, और
आध्यात्मिक प्रकार की रचनाओं के संगीत में भी इसका प्रचुरता से प्रयोग होता है ।
शायद इसी लिए लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ने इस गंभीर राग का प्रयोग इस उछलकूद और
मस्ती से भरी स्थिति के गीत के लिए किया होगा ।
आइये ! इस गीत में जो “सलाम” छूट
गए हैं उन्हें सलाम पेश करते हुए इस गीत को पढ़ें, सुनें
और देखें । आनंद बख्शी साहब की कलम को सलाम, लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल
की सांगीतिक सामर्थ्य को सलाम,
लता
मंगेशकर की "सदाबहार सोलह बरस की बाली उमर" की आवाज़ को सलाम, अनूप जलोटा को सलाम और साथ ही “वासू” और
“सपना” को सलाम ................
कोशिश करके देख ले दरिया
सारी नदियॉ सारी
दिल की लगी नहीं बुझती बुझती हर चिंगारी
दिल की लगी नहीं बुझती बुझती हर चिंगारी
सोलह बरस की ..
सोलह बरस की बाली उमर को सलाम
ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
सलाम ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
सोलह बरस की बाली उमर को सलाम
ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
सलाम ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
दुनियॉ में सबसे पहले
जिसने ये दिल दिया
दुनियॉ के सबसे पहले दिलबर को सलाम
दिल से निकलने वाले रस्ते का शुक्रिया
दिल तक पहुँचने वाली डगर को सलाम
दुनियॉ के सबसे पहले दिलबर को सलाम
दिल से निकलने वाले रस्ते का शुक्रिया
दिल तक पहुँचने वाली डगर को सलाम
ऐ प्यार तेरी पहली नजर को
सलाम
सलाम ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
सलाम ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
जिसमें जवान होकर बदनाम हम
हुए
जिसमें जवान होकर बदनाम हम हुए
उस शहर, उस गली, उस घर को सलाम
जिसमें जवान होकर बदनाम हम हुए
उस शहर, उस गली, उस घर को सलाम
जिसने हमें मिलाया, जिसने जुदा किया
उस वक़्त, उस घड़ी, उस गजर को सलाम
उस वक़्त, उस घड़ी, उस गजर को सलाम
ऐ प्यार तेरी पहली नजर को
सलाम
सलाम, ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
सलाम, ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
मिलते रहे यहॉ हम ये है
यहॉ लिखा
इस लिखावट की ज़ेरो-जबर को सलाम
साहिल की रेत पर यूं, लहरा उठा ये दिल
सागर में उठने वाली हर लहर को सलाम
इस लिखावट की ज़ेरो-जबर को सलाम
साहिल की रेत पर यूं, लहरा उठा ये दिल
सागर में उठने वाली हर लहर को सलाम
इन मस्त गहरी गहरी आखों की
झील में
जिसने हमें डुबोया उस भँवर को सलाम
घॅूघट को तोडकर जो सर से सरक गयी
ऐसी निगोडी धानी चुनर को सलाम
जिसने हमें डुबोया उस भँवर को सलाम
घॅूघट को तोडकर जो सर से सरक गयी
ऐसी निगोडी धानी चुनर को सलाम
उलफत के दुश्मनों ने...
उलफत के दुश्मनों ने कोशिश हजार की
फिर भी नहीं झुकी जो, उस नजर को सलाम
ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
उलफत के दुश्मनों ने कोशिश हजार की
फिर भी नहीं झुकी जो, उस नजर को सलाम
ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
सोलह बरस की बाली उमर को
सलाम
ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
सलाम ऐ प्यार तेरी, पहली नजर को सलाम
गीत का वीडियो देखने के लिए ये लिंक क्लिक करें :
https://www.youtube.com/watch?v=322FOeeonf4
*************************************************************************ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम
सलाम ऐ प्यार तेरी, पहली नजर को सलाम
गीत का वीडियो देखने के लिए ये लिंक क्लिक करें :
https://www.youtube.com/watch?v=322FOeeonf4
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anandkrishna आनंदकृष्ण
लेखक के द्वारा यह लेख
पहली बार फेसबुक पर 08 फरवरी 2019 को
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