विलियम
कार्लोस विलियम्स की MARCH
शृंखला
की
दो कविताओं का हिंदी में भावानुवाद
विलियम कार्लोस विलियम्स (जन्म 17 सितंबर 1883, मृत्यु 04
मार्च
1963) आधुनिक अमरीकी कविता के
महत्वपूर्ण हस्ताक्षर थे । पेशे से वे शिशुरोग विशेषज्ञ थे किन्तु अमरीकन कविता पर
उन्होने अपनी अमिट छाप छोड़ी ।
19 वीं सदी के अंतिम और
बीसवीं सदी के प्रारम्भ में आधुनिकता और बिंबवाद की अवधारणा का साहित्य में अवतरण
हुआ । विलियम्स इन दोनों अवधारणाओं से गहरे जुड़े थे ।
उन्हें अनेक पुरस्कार मिले जिनमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ
आर्ट्स एंड लेटर्स, अमेरिका का स्वर्ण पदक, नेशनल बुक अवार्ड फॉर पोइट्री और पुलिट्ज़र
पुरस्कार (पिक्चर्स फ्राम ब्रुगेल एंड अदर पोएम्स- कविता संग्रह) प्रमुख हैं ।
पोइट्री सोसाइटी ऑफ अमेरिका उनके सम्मान में उनके नाम पर वार्षिक पुरस्कार प्रदान
करती है ।
विलियम्स ने MARCH शीर्षक से कुछ कविताओं की शृंखला लिखी थी । विलियम्स के MARCH में मुझे फागुनी ध्वनियाँ और खुशबू महसूस हुई
इसलिए मैंने अनुवादों का शीर्षक "फागुन" रखा है । दो कवितायें और उनका
मेरे द्वारा किया गया भावानुवाद प्रस्तुत है :
*******************************************************************
MARCH- 1
Winter is long in this
climate
and spring—a matter of
a few days
only,—a flower or two
picked
from mud or from among
wet leaves
or at best against
treacherous
bitterness of wind,
and sky shining
teasingly, then
closing in black
and sudden, with
fierce jaws.
भावानुवाद
: फागुन - 1
यहाँ
मीलों लंबी सर्दी होती है
और
वसंत चार दिनों का मेहमान -
केवल
एक- दो फूल अपना सिर उठा लेते हैं
कीचड़
से या गीली पत्तियों के बीच से
या
सारे दगाबाज़ों को धता बताते हुए
हवा
में घूमती निबौली की गंध और आकाश की चमक
जैसे
कोई अंधेरे में छुपता-दिखता
और
अचानक, भयंकर जबड़े खोल देता ।
*******************************************************************
MARCH- 2
March,
you remind me of
the pyramids, our
pyramids—
stript of the polished
stone
that used to guard
them!
March,
you are like Fra
Angelico
at Fiesole, painting
on plaster!
March,
you are like a band of
young poets that have
not learned
the blessedness of
warmth
(or have forgotten
it).
At any rate—
I am moved to write
poetry
for the warmth there
is in it
and for the
loneliness—
a poem that shall have
you
in it March.
भावानुवाद
फागुन -2
फागुन
तुमने
मुझे सुधि दिलाई
पिरामिडों
की, हमारे पिरामिडों की -
और
चमकते पत्थरों की सिलों की
जो
उनकी रक्षा करती थीं !
फागुन,
तुम
बिलकुल वैसे ही हो
जैसे
फिएसोले (*) में
प्लास्टर
पर उकेरी गई फ्रा एंजेलिको (**) की पेंटिंग!
फागुन,
तुम
युवा कवियों के उछलते दल की तरह हो
जिन्होने
नहीं पाया है
गर्माहट
का स्वाद
(या जो इसे पा कर भूल गए
हैं)।
किसी
भी कीमत पर-
मैं
ऐसी कविता लिखने के लिए प्रवृत्त हूं
जो
गर्माहट में होगी
और
जो अकेलेपन के लिए होगी-
एक
ऐसी कविता जो सबमें होगी
और
जिसमें फागुन होगा ।
*******************************************************************
फिएसोले
(*)- इटली का एक पुराना शहर ।
फ्रा
एंजेलिको (**)- इटली के महान चित्रकार किनकी कर्मस्थली फिएसोले शहर था ।
*******************************************************************
*******************************************************************
डिसक्लेमर
:
ये
पोस्ट पूर्णतया कॉपीराइट प्रोटेक्टेड है, ये
किसी भी अन्य लेख या बौद्धिक संम्पति की नकल नहीं है । इस पोस्ट या इसका कोई भी भाग बिना लेखक की
लिखित अनुमति के शेयर, नकल, चित्र रूप या इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रयोग
करने का अधिकार किसी को नहीं है ।
अगर ऐसा किया जाता है निर्धारित क़ानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी ।
© आनंदकृष्ण
*******************************************************************