रविवार, 29 दिसंबर 2013

दिनांक 29 नवंबर 2013, हिन्दी भवन नई दिल्ली 
“सुरभि सक्सेना की कविता युवा चेतना और आध्यात्मिकता के स्वरों  का जीवंत अभिलेख है”
“मुट्ठी भर आकाश” कविता संग्रह के लोकार्पण में विद्वानों के विचार ।





नई दिल्ली । वयम (साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संस्था) के तत्वावधान में युवा कवयित्री सुरभि सक्सेना के प्रथम कविता संग्रह “मुट्ठी भर आकाश” का लोकार्पण, विमर्श एवं काव्यगोष्ठी समारोह हिन्दी भवन सभागार, आईटीओ के पास नई दिल्ली में वरिष्ठ साहित्यकार-रंगकर्मी श्री हरीश चन्द्र जोशी, निदेशक (राजभाषा), कृषि मंत्रालय, नई दिल्ली की अध्यक्षता, वरिष्ठ साहित्यकार श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी के मुख्य आतिथ्य, वरिष्ठ साहित्यकार-भाषाविद डॉ कुसुमवीर तथा वरिष्ठ समाजसेवी श्रीमती आशा हुड्डा के विशिष्ट आतिथ्य और चर्चित युवा कवयित्री सुनीता शानू के संचालन में आयोजित किया गया । कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता कवि-आलोचक श्री आनंद कृष्ण (भोपाल) थे । कार्यक्रम के प्रारम्भ में श्रीमति वंदना गुप्ता, स्वाती श्रीवास्तव, राजीव तनेजा, देविका दत्ता, डॉ सुमन रावल ने फूलों के पौधे भेंट कर के अतिथियों का स्वागत किया । तत्पश्चात अतिथियों ने कृति “मुट्ठी भर आकाश” लोकार्पित की ।  
      लोकार्पित कृति का परिचय देते हुये सुनीता शानू ने बताया की देश के प्रतिष्ठित प्रकाशन “अयन प्रकाशन” के द्वारा प्रकाशित इस संग्रह में कुल 72 कवितायें संग्रहीत हैं । इस संग्रह की भूमिका श्री आनंद कृष्ण ने और ब्लर्ब श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने लिखा है । अपनी कविताओं के रूप में सुरभि ने अपने अनुभवों और अनुभूतियों को शब्द दे कर उनको जीवंत किया है ।
      भोपाल से पधारे कवि-आलोचक श्री आनंद कृष्ण ने कहा कि वस्तुतः कविता लिखी नहीं जाती; उसका अवतरण होता है, वह नाज़िल होती है । कोई रचनाकार जब अपनी अनुभूतियों को शब्दों में ढाल कर समाज के समक्ष प्रस्तुत करता है तो उसमें से सार ग्रहण करना समाज का दायित्व है । उन्होने संग्रह की कविताओं के कथ्य और शिल्प के बारे में चर्चा करते हुये कहा सुरभि की रचनाएँ युवा चिंतन और आध्यात्मिक अहसासों से पूरित हैं । ये रचनाएँ समकालीन युवा चिंतन को रेखांकित करती हैं ।
      कवयित्री सुरभि सक्सेना ने अपने वक्तव्य में अपने संघर्षों में अपने परिवार को विशेष रूप से रेखांकित किया । उन्होने कहा कि बेचैनी और पीड़ाओं ने रचने का हौसला दिया और जब ये शब्द कागज पर उतरे तो अपने साथ शांति का संदेश भी लाये । इस अवसर पर सुरभि सक्सेना ने अपनी चुनिंदा कवितायेँ "हर गीत मेरा तेरे कारण”, “आकर्षिता”,  “हस्ती है मेरी”, कविताओं का पाठ किया जिन्हें सभी ने सराहा ।   
      विशिष्ट अतिथि डॉ कुसुमवीर ने सुरभि की कविताओं के प्रति प्रतिबद्धता और दृढ़ विश्वास की सराहना की । उन्होने इस संग्रह को युवा चेतना का प्रखर उद्घोषक बताया । विशिष्ट अतिथि श्रीमति आशा हुड्डा ने संवेदनशीलता और भावों कि सघन अनुभूति को विशेष रूप से रेखांकित किया ।
      कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने सुरभि को शुभकामनायें देते हुये कहा कि पहली कृति के लोकार्पण पर विमर्श नहीं उत्सव होना चाहिए । अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार-रंगकर्मी हरीश चन्द्र जोशी ने भी शुभकामनायें देते हुये भविष्य में और भी पुस्तकों के प्रकाशित होने की कामना की । कार्यक्रम के प्रथम चरण का आभार प्रदर्शन युवा कवयित्री रेनू रॉय ने किया ।  
      समारोह के दूसरे चरण में आनंद कृष्ण के संचालन में काव्य गोष्ठी हुई जिसमें श्रीमती ममता किरण, सुश्री हेमलता वशिष्ठ, सुश्री रचना आभा, सुश्री कमला सिंह ज़ीनत, सुश्री सुनीता शानू , सुश्री रेणु रॉय, श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, डॉ.अशोक मधुप, श्री हरमिंदर पाल सिंह, श्रीमती  ऋतू प्रसन्न वैद्य ने कविता पाठ किया । समस्त रचनाकारों को स्मृति चिह्न एवं फूलों के पौधे दे कर सम्मानित किया गया ।  इस अवसर पर अयन प्रकाशन के संचालक श्री भूपाल सूद, हिन्द युग्म के संचालक श्री शैलेश भारतवासी, श्री अरविंद सक्सेना, वंदना गुप्ता,  राजेश कपूर, देविका दत्ता, स्वाति सक्सेना,  श्री यशवंत राय श्रीवास्तव, श्रीमती रागिनी श्रीवास्तव, श्री योगेश वैद्य,  डॉ सुमन रावल, श्रीमति ज्योति सिंह, श्रीमती बीना सक्सेना, श्री बृजेश विजरा, श्रीमति पायल विजरा, मुदित बंसल, मोहम्मद जमशेद आदि सहित बड़ी संख्या में साहित्यिकार व बुद्धिजीवी उपस्थित थे ।

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