बुधवार, 27 मई 2009

चार मिसरे-

चार मिसरे-

मैं तुम्हारे ख़्वाबों का इक जहां बनाऊंगा।

प्यार के मुरीदों का कारवां बनाऊंगा।

मुझको तेरी साँसों की फूल सी छुवन की कसम-

लौट के अगर आया- आसमां बनाऊंगा.

4 टिप्‍पणियां:

  1. jahaan khatm hoga ye jahaan,
    main tere liye ik jahaan banaungaa..
    tu ishaaraa bhar kar de....
    main wo jahaan , wahaan banaunga....

    likhte rahein.......

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  2. चारो मिसरे बहुत अच्छे लगे.धन्यवाद.

    महेंद्र मिश्र
    जबलपुर.

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  3. चारो मिसरे बहुत अच्छे लगे. धन्यवाद.
    महेंद्र मिश्र
    जबलपुर.

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  4. वाह वाह!!


    अब आ भी जाईये यहाँ लौट कर...आसमां बनने का इन्तजार कर रहा है. दर्शन दुर्लभ.

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