मेरी पिछली ग़ज़ल में रदीफ़ "दो" था और इस ग़ज़ल में भी यही रदीफ़ है. दोनों "दो" के अर्थ अलग अलग हैं. बताइयेगा की इस तज़रबे में मैं कितना कामयाब रहा- पेशे-नज़र है ये ग़ज़ल-
ग़ज़ल : कोई हमदम या...............
कोई हमदम या कोई कातिल दो।
ग़ज़ल : कोई हमदम या...............
कोई हमदम या कोई कातिल दो।
मेरी कश्ती को एक साहिल दो.
अब तो तन्हाइयां नहीं कटतीं-
अब तो तन्हाइयां नहीं कटतीं-
दे रहे हो तो दोस्त-महफ़िल दो।
चांदनी में झुलस रहा है बदन
अब अमावस की रात झिलमिल दो।
उनकी मासूमियत का क्या कहना-?
उनकी मासूमियत का क्या कहना-?
दिल मिरा ले के कहें- "अब दिल दो."
मुझको बख्शा है ग़र भटकना, तो-
मुझको बख्शा है ग़र भटकना, तो-
मेरे पांवों को अब न मंजिल दो।
दोस्ती कर के देख ली मैंने-
एक दुश्मन तो मेरे काबिल दो-!
जिल्लतें, वस्ल, दर्द, तन्हाई-
जिल्लतें, वस्ल, दर्द, तन्हाई-
कुछ तो मेरी वफ़ा का हासिल दो.
होली की अनंत अशेष शुभकामनाएं...........
होली की अनंत अशेष शुभकामनाएं...........
बहुत खूब ... आपको भी होली की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआनंद भाई
जवाब देंहटाएंअभिवन्दन
ग़ज़ल के सभी शेर क़ाबिले तारीफ़ हैं
अति उत्तम प्रयास के लिए बधाई
- डॉ. विजय तिवारी " किसलय "
बहुत खूबसूरत गज़ल...
जवाब देंहटाएंआपको, निक्की को मौली व चारू को होली की ढेर सारी बधाईयाँ...
आनंदजी, आपकी गज़लें उम्दा हैं, छोटे आकार में बड़ी बातें कहती हैं। मुझे खुशी है की हिन्दी के उत्थान में आपका बड़ा सहयोग हो रहा है। लिखते रहिये। होली की बहुत सारी सुभ कामनाएं आपको और आके सभी प्रशंसको को ।
जवाब देंहटाएंwah wah...........
जवाब देंहटाएंbahut badiya darshayi haa apne apni baate
wah wah
जवाब देंहटाएंbahut badiya likha haa apne....
बहुत खूबसूरत गज़ल है । बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंआप ने रदीफ़ो का बाखूबी इस्तेमाल कर के इस गज़ल को बहुत ही खूबसूरत पेश किया है जिस से हमे भी उर्दू भाशा के प्रयोग के नयी दिशा मिली है । शुभ कामनायें http://harilalmumbai.blogspot.com
जवाब देंहटाएंकाफी पुरानी पोस्ट, आपकी शुभ कामनाऍं स्वीकार :)
जवाब देंहटाएंसूचना
यह पोस्ट आपसे सम्बन्धित है इस लिये भेज रहा हूँ
http://pramendra.blogspot.com/2009/04/blog-post_14.html
अनूठा प्रयोग. साहित्य ऐसे प्रयोगों से समृद्ध होता है.
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी सदा ही प्रेरणादायी रही है, बहुत समय से कुछ नया नहीं आया..प्रतीक्षारत. , एक झलक मेरे कविताओं के ब्लॉग को भी देख कर सुधार हेतु बातें बताएं :) www.meri-rachna.blogspot.com
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