एक ग़ज़ल प्रस्तुत है-
इक मुसाफिर ने कारवां पाया।
कातिलों को भी मेहरबां पाया.
मेरे किरदार की शफाक़त ने-
हर कदम एक इम्तिहाँ पाया।
जुस्तजू में मिरी वो ताक़त है-
तुझको चाहा जहाँ-वहाँ पाया।
वो जो कहते हैं-मिरे साथ चलो
उनके क़दमों को बेनिशां पाया।
इक सितारा निशात का टूटा-
दर्द में हमने आसमां पाया.
क्या बात है आनन्द कृष्ण जी. कम दिखते हो मगर खूब दिखते हो. बेहतरीन रचना, उम्दा भाव!!
जवाब देंहटाएंबधाई.
एक दो दिन में जबलपुर ब्लॉगर गोष्टी के आयोजन का विचार है, बताईयेगा.
सादर
समीर लाल
वो जो कहते हैं मेरे साथ चलो
जवाब देंहटाएंउनके क़दमों को बेनिशाँ पाया
वाह-वाह
बहुत अच्छा कहते हैं आप
बहुत-बहुत बधाई
द्विजेन्द्र द्विज
ik sitaaraa nishaat kaa toota------ bahut hi laajvab hai
जवाब देंहटाएंजुस्तजू में मिरी वो ताक़त है-
जवाब देंहटाएंतुझको चाहा जहाँ-वहाँ पाया।
आनद जी बहोत बधाई सबसे पहले तो ,आपके ब्लॉग पे मैं पहली दफा आया हूँ और बस ठहर गया बहोत ही बढ़िया भाव पूर्ण ग़ज़ल लिखी है आपने कभी फुर्सत होतो मेरे ब्लॉग पे आए आपका ढेरो स्वागत है ग़ज़लों का लुत्फ़ लेने के लिए...
अर्श
वो जो कहते हैं-मिरे साथ चलो
जवाब देंहटाएंउनके क़दमों को बेनिशां पाया।
बढ़िया लगा यह
वो जो कहते हैं-मिरे साथ चलो उनके क़दमों को बेनिशां पाया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ...बधाई
बहुत उम्दा ख्याल.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल...हर शेर लाजवाब है...और अपने कथन में ताजगी लिए हुए भी...
जवाब देंहटाएंनीरज
जुस्तजू में मिरी वो ताक़त है-
जवाब देंहटाएंतुझको चाहा जहाँ-वहाँ पाया।
"बेहतरीन ग़ज़ल.....ये दो पंक्तियाँ मुझे खास तौर से छु गयी....सच कहा है तुझको चाहा जहाँ-वहाँ पाया।, कितना प्यारा लगता है किसी को हर जगह पाना ...."
आपके आशीर्वाद और प्रोत्साहन के लिए आभार...
Regards
हर शेर माकूल
जवाब देंहटाएंदोस्तों, देश मै वर्तमान हालत के चलते एक बहुत बड़ी तादात ऐसे युवाओ की तैयार हो रही है !जो स्वयम के हित साधने के लिए सारे नियम ताक पर रखने को तैयार है !हम सारे देश को नहीं सुधार सकते ,परन्तु स्वयम के कर्तव्यो का सात्विकता से पालन कर अपने आस -पास के लोगो के सामने आदर्श प्रस्तुत कर सकते है आइये इस गणतंत्र दिवस पर देश हित मै स्वयम के निमित्त संकल्प ले ! "सुधरे व्यक्ति ,समाज व्यक्ति से ,राष्ट्र स्वयम सुधरेगा ! जय हिंद
जवाब देंहटाएं"वो जो कहते हैं-मिरे साथ चलो
जवाब देंहटाएंउनके क़दमों को बेनिशां पाया।"
उम्दा शैर के साथ बहुत अच्छी गजल।
आभार।
इक सितारा निशात का टूटा-दर्द में हमने आसमां पाया.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
उम्दा शैर के साथ बहुत अच्छी गजल।
जवाब देंहटाएंवो जो कहते हैं-मेरे साथ चलो
जवाब देंहटाएंउनके क़दमों को बेनिशां पाया।
आज के युग की सबसे सार्थक पंग्तिया है इस सच को जो आपने जो भाव दिया उम्दा है बेहतरीन है ...
are waah bhyi waah.......jo maine aapko yahan gazalkhwaan hota hua paya........!!
जवाब देंहटाएंइक सितारा निशात का टूटा-दर्द में हमने आसमां पाया.
जवाब देंहटाएंek baat puchna chahti hoo.. ki gazale hamesha dard bhari kyo hoti hai.. yaa aisa kuch trend ban gaya hai.. kavitaon ki tarah gazal bhi kuch seekh dene wali yaa kuch aur abhivayakt karne ka madhyam kyo nai ho sakti??
बहुत खूब लिखा है,,सर!! और आपकी हौसला-अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!!!!
जवाब देंहटाएंkya bat hai sir. her sher me lazwab kash. umda gazal bahtreen rachna. badhai.
जवाब देंहटाएंवो जो कहते हैं-मिरे साथ चलो उनके क़दमों को बेनिशां पाया।
जवाब देंहटाएंभाई किसने कहा था कि भूतों पे भरोसा करो
आप हो कि किसी की मानते ही नहीं आनंद बाबू ?
अच्छी गजल। बधाई।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना..है.बधाई.
जवाब देंहटाएंआनन्द कृष्ण जी,
जवाब देंहटाएंआप की गज़ल बेहद खूबसूरत और गहरी पाई.
मंजुल बजाज