सूखते होंठों पे हमको तिश्नगी अच्छी लगी।
जिंदगी जीने की ऐसी बेबसी अच्छी लगी।
इस नुमाइश ने दिखाए हैं सभी रंजो-अलम-
इस नुमाइश की हमें ये तीरगी अच्छी लगी
हैं वसीले और भी, फितरत-बयानी के, लिए
पर हमें नज्मो-ग़ज़ल, ये शाइरी अच्छी लगी।
आलिमों ने इल्म की बातें बताईं हैं बहुत-
पर हकीकत में हमें दो-चार ही अच्छी लगी।
ख्वाहिशें सबकी कभी पूरी नहीं होतीं मगर-
जो तुम्हारे साथ गुज़री, जिंदगी अच्छी लगी।
आज इन हालत में भी हैं मेरे हमराह वो-
कुछ चुनिन्दा लोग- जिनको रोशनी अच्छी लगी।
आज इन हालत में भी हैं मेरे हमराह वो-कुछ चुनिन्दा लोग- जिनको रोशनी अच्छी लगी। बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आनंद भाई
जवाब देंहटाएंvijay
bahut achchi gazal hai .sadhuvad
जवाब देंहटाएंBahut khoob........
जवाब देंहटाएंSahitya me aapki TISHNAGI maa shaarda apne shad-jal se bujhaye...
Shubhkamna.....
Milate rahenge... Nayi rachnao ke sath..
Bahut khoob........
जवाब देंहटाएंSahitya me aapki TISHNAGI maa shaarda apne shad-jal se bujhaye...
Shubhkamna.....
Milate rahenge... Nayi rachnao ke sath..
aapki gazal aachi bat jo kahi poore man se kahi he
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