गीत: चाहे ना हो ........
चाहे ना हो साथ तुम्हारा,
या हाथों में हाथ तुम्हारा ।
मेरी सांसें तुमको प्रतिक्षण साथ रखेंगी याद बना कर ।।
बचपन की मधुरिम किलकारी,
निश्छल, अर्थहीन सी गारी ।
पल में हास, अश्रु पल भर में
रोना, रूठ मनौवल प्यारी ।
चढ़ना लपक-लपक पेड़ों पर,
और दौड़ना पथ मेड़ों पर ।
कच्ची बेर-बिही का संग्रह
विस्मृत करता दुनिया सारी ।
चाहे बिछड़ा दुख दिखला दो,
या मिलने का सुख सिखला दो ।
अधरों का कंपन खोलेगा, भेद शूल के फूल सजा कर ।।
प्रणय पाठ पढ़ते थे हम-तुम,
बटुक बने घन गुल्मों में गुम ।
आंचल ढरका तो तुम सहमीं
छुई-मुई सी बैठीं गुमसुम ।
लज्जित, मुस्काईं तुम जितनी
मेरी प्रीत बढ़ी तब उतनी ।
और तुम्हारे माथे बरबस-
बिखर-बिखर सा जाता कुमकुम ।
चाहे तुम वे दिन बिसराओ,
या आकर पायल छनकाओ ।
स्मृतियों के सघन कुंज में, मैं बैठा हूं नयन बिछा कर ।।
हाय ! अधूरी मेरी पाती,
मौन बना अब मेरा साथी ।
वर्षा की मदमाती रिमझिम
रोती है, फिर भी बहलाती ।
गीत अबोले से लगते हैं,
जले, फफोले से लगते हैं ।
और तुम्हारी सुधियां मेरे-
भीतर गहरे आती-जातीं ।
चाहे आंखें मुंदती जाएं,
या सपनों के ढेर लगाएं ।
आ पहुंचा है समय विदा का, देखो अपनी नजर बचा कर ।।
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चाहे ना हो साथ तुम्हारा,
जवाब देंहटाएंया हाथों में हाथ तुम्हारा
बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोई भावपूर्ण रचना .आभार.
हाय ! अधूरी मेरी पाती,
जवाब देंहटाएंमौन बना अब मेरा साथी ।
भावपूर्ण रचना...
अच्छा गीत है भाई
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया रचना .. बधाई !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...जबरदस्त गीत..आप छाअ गये आनन्द भाई दिलो दिमाग पर...नियमित लिखें..आप किताब निकालिये अपने गीतों की,,,विमोचन में हम गायेंगे जबलपुर आकर!!!
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर रचना के लिए बहुत -बहुत आभार
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं
utkrisht rachna....badhai...aasha hai aapko padhne ka avsar milta rahega.....
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