tag:blogger.com,1999:blog-4864720368432735980.post8249630811343253238..comments2023-04-26T01:46:52.531+05:30Comments on हिन्दी निकष HINDI NIKASH: ग्रीष्म सप्तकhindi-nikash.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/00867013749653703391noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4864720368432735980.post-8886872291644454162010-07-27T23:00:07.040+05:302010-07-27T23:00:07.040+05:30आनन्द जीं , आपने दोहे के माध्यम से गर्मी के दिन का...आनन्द जीं , आपने दोहे के माध्यम से गर्मी के दिन का जो सजीव चिञण प्रस्तुत किया हैँ वो मन को भा गया। और यह सिखाता है कि आने वाले नये कवियोँ को किस प्रकार अपने लेखन मेँ शब्दोँ का चयन करना चाहिये।आप लिखते जाए , मैँ पढ़ता जाऊँ, बस यही कामना हैँ। -: Visit my blog :- ( www.vishwaharibsr.blogspot.com )DR.ASHOK KUMARhttps://www.blogger.com/profile/01638850958512148573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4864720368432735980.post-5416895749064275332009-06-11T14:40:35.943+05:302009-06-11T14:40:35.943+05:30आदरणीय गिरिजेश जी,
आपको दोहे पसंद आये- ये मेरी लेख...आदरणीय गिरिजेश जी,<br />आपको दोहे पसंद आये- ये मेरी लेखनी का सौभाग्य है. आपका कहना सही था. "पड़ीं रेट" को मैंने सुधार कर पड़ीं रेत कर दिया है. "क्रोड़" का अर्थ "गोद" होता है. ये तत्सम शब्द है जिसका तद्भव रूप "गोद" है.<br /> <br />आभार सहित-<br />आनंदकृष्ण, जबलपुरhindi-nikash.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/00867013749653703391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4864720368432735980.post-24132178445749248442009-06-11T09:17:08.994+05:302009-06-11T09:17:08.994+05:30"पिघले सोने सी कहीं बिखरी पीली धूप।
कहीं पेड़..."पिघले सोने सी कहीं बिखरी पीली धूप।<br />कहीं पेड़ की छाँव में इठलाता है रूप।"<br /><br />धूप की यह रंगत ! पके हुए गेहूँ , दूर तक फैले खेत। कहीं पेंड़ के नीचे छ्हाँती गोरी । वाह ! क्या शब्द चित्र खींचा आप ने। निदा फाजली और दुष्यंत याद आ गए।<br /> <br />"पडी रेट" की जगह "पड़ी रेत" होना चाहिए।<br />"क्रोड़" क्या होता है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com