गुरुवार, 23 जुलाई 2009

गीत: चाहे ना हो ........

चाहे ना हो साथ तुम्हारा,
या हाथों में हाथ तुम्हारा ।
मेरी सांसें तुमको प्रतिक्षण साथ रखेंगी याद बना कर ।।

बचपन की मधुरिम किलकारी,
निश्छल, अर्थहीन सी गारी ।
पल में हास, अश्रु पल भर में
रोना, रूठ मनौवल प्यारी ।
चढ़ना लपक-लपक पेड़ों पर,
और दौड़ना पथ मेड़ों पर ।
कच्ची बेर-बिही का संग्रह
विस्मृत करता दुनिया सारी ।
चाहे बिछड़ा दुख दिखला दो,
या मिलने का सुख सिखला दो ।
अधरों का कंपन खोलेगा, भेद शूल के फूल सजा कर ।।

प्रणय पाठ पढ़ते थे हम-तुम,
बटुक बने घन गुल्मों में गुम ।
आंचल ढरका तो तुम सहमीं
छुई-मुई सी बैठीं गुमसुम ।
लज्जित, मुस्काईं तुम जितनी
मेरी प्रीत बढ़ी तब उतनी ।
और तुम्हारे माथे बरबस-
बिखर-बिखर सा जाता कुमकुम ।
चाहे तुम वे दिन बिसराओ,
या आकर पायल छनकाओ ।
स्मृतियों के सघन कुंज में, मैं बैठा हूं नयन बिछा कर ।।

हाय ! अधूरी मेरी पाती,
मौन बना अब मेरा साथी ।
वर्षा की मदमाती रिमझिम
रोती है, फिर भी बहलाती ।
गीत अबोले से लगते हैं,
जले, फफोले से लगते हैं ।
और तुम्हारी सुधियां मेरे-
भीतर गहरे आती-जातीं ।
चाहे आंखें मुंदती जाएं,
या सपनों के ढेर लगाएं ।
आ पहुंचा है समय विदा का, देखो अपनी नजर बचा कर ।।
* * * * * * * *

7 टिप्‍पणियां:

  1. चाहे ना हो साथ तुम्हारा,
    या हाथों में हाथ तुम्हारा
    बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोई भावपूर्ण रचना .आभार.

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  2. हाय ! अधूरी मेरी पाती,
    मौन बना अब मेरा साथी ।

    भावपूर्ण रचना...

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  3. बेहतरीन...जबरदस्त गीत..आप छाअ गये आनन्द भाई दिलो दिमाग पर...नियमित लिखें..आप किताब निकालिये अपने गीतों की,,,विमोचन में हम गायेंगे जबलपुर आकर!!!

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  4. इस सुन्दर रचना के लिए बहुत -बहुत आभार
    नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं

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  5. utkrisht rachna....badhai...aasha hai aapko padhne ka avsar milta rahega.....

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