चार मिसरे समाद फरमाएं-
हमने जो ख्वाब थे सजा डाले-
देख लो-वक़्त ने मिटा डाले।
आरजू अब सुपुर्दे-खाक करो-
मैंने सारे वो ख़त जला डाले.
चार मिसरे-
मैं तुम्हारे ख़्वाबों का इक जहां बनाऊंगा।
प्यार के मुरीदों का कारवां बनाऊंगा।
मुझको तेरी साँसों की फूल सी छुवन की कसम-
लौट के अगर आया- आसमां बनाऊंगा.