बुधवार, 15 अक्तूबर 2008

वे आँखें

एक बहुत पुराना गीत
गीत की पृष्ठभूमि ये थी कि मेरी सुगम संगीत परीक्षा का फाइनल वाइवा हो रहा था। मैं लेट हो गया था इसलिए भागा-भागा हांफता हुआ कॉलेज पहुंचा। वहाँ पहुँच कर कुछ प्रकृतिस्थ होने के बाद जब मैंने इधर-उधर देखना शुरू किया तो मुझे इस गीत की प्रेरणा दिखाई दी और वहीं ये गीत लिखा. बाद में मुझे समझ में आया कि इसमें कुछ गलतियां भी हैं पर मैंने उन्हें जान-बूझ कर ठीक नहीं किया. आज २० साल हो रहे हैं फ़िर भी "वे आँखें" आज भी मेरी स्मृतियों में सुरक्षित हैं।(अब तो हो सकता है उन पर मोटा चश्मा चढ़ गया हो- )
बहरहाल ये गीत पढिये और मेरे साथ अपने अतीत की यात्रा कर लीजिये :

गीत : वे आँखें ........

वे आँखें जितनी चंचल हैं उससे ज्यादा मेरा मन है .
वे आँखें जिनमें तिर आया जैसे सारा नील गगन है .
कभी लजातीं, सकुचातीं सी,
और कभी झुक-झुक जाती हैं .
मुझे देखती हैं वे ऐसे-
धड़कन सी रुक-रुक जाती है .
कह देती हैं सब भेदों को, मौन नहीं हैं, वे चेतन हैं .
वे आँखें जिनमें तिर आया जैसे सारा नील गगन है .
ह्रदय तंत्र को छेड़-छेड़ कर,
मधुर रागिनी वे गाती हैं .
मुझको मुझसे बना अपरिचित-
इंद्रजाल-सा फैलाती हैं .
आंखों ने रच डाला जैसे-एक अनोखा-सा मधुवन है .
वे आँखें जिनमें तिर आया जैसे सारा नील गगन है .
कुछ क्षण मेरे पास बैठ कर-
आँखें दूर चली जाती हैं .
सच कहता हूँ- मुझसे मेरी-
साँसें दूर चली जाती हैं .
आंखों के जाने पर जाना- आंखों में सारा जीवन है .
वे आँखें जिनमें तिर आया जैसे सारा नील गगन है .
इठलाती मदमाती आँखें-
कितना मुझको तरसाती हैं .
सच बोलो-! क्या इन आंखों को-
थोड़ी लाज नहीं आती है-?
वे आँखें क्या नहीं जानतीं-चार दिनों का यह यौवन है-?
वे आँखें जिनमें तिर आया जैसे सारा नील गगन है .
* * * * * * * * * * * *

10 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा लिखा है. आपका स्वागत है

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  2. सुन्दर कविता। ...आपका यहाँ नियमित लेखन के लिए स्वागत है।

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  3. कह देती हैं सब भेदों को, मौन नहीं हैं, वे चेतन हैं

    बहुत बढिया चित्रण। वाह।।

    जब होती चार आँखें आँखों से होती बातें।
    आँखों से प्यार होता आँखों में कटती रातें।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman. blogspot. com

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  4. वे आँखें क्या नहीं जानतीं-चार दिनों का यह यौवन है-?..............
    कमाल है आनंदजी, आनंद आ गया ..
    लिखते रहिये..
    अर्चना

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  5. बहुत सुंदर गीत आपका चिठ्ठा जगत में स्वागत है . मेरे ब्लॉग पर दस्तक देकर देखें अन्दर कैसे व्यंग और गीत रखे हैं

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  6. पुण्यभूमि भारत ब्लॉग पर टिपण्णी ,व ब्लॉग देखने के लिए आपका धन्यवाद व स्वागत !आपको भी आपके लेखन के इसी प्रकार यशस्वी बने रहने के लिए शुभ कामनाये !

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